तमस (उपन्यास) : भीष्म साहनी
थोड़ी देर तक लीज़ा हतबुद्धि-सी बैठी रही। रिचर्ड ने अभी तक कॉफी नहीं पी थी। वह असमंजस में थी कि वह स्वयं कॉफी पी ले या रिचर्ड का इन्तज़ार करे, पर रिचर्ड शीघ्र ही लौट आया।
“यह किसकी रिपोर्ट थी, रिचर्ड?"
“पुलिस सुपरिटेंडेंट की।" रिचर्ड ने कहा, फिर आश्वासन के स्वर में बोला, "कोई खास बात नहीं है, रोज़ की रुटीन रिपोर्ट है।"
लेकिन लीज़ा को लगा जैसे रिचर्ड कुछ छिपा रहा है।
“कुछ तो है रिचर्ड, तुम कुछ छिपा रहे हो?"
"छिपाने को है क्या लीज़ा, फिर तुमसे छिपाऊँगा? शहर की बातों से मुझे या तुम्हें लगाव ही क्या है कि मैं छिपाता फिरूँ?"
"फिर भी कुछ तो है। सुपरिटेंडेंट ने क्या-क्या लिखा है?"
“उसने इतना-भर लिखा है कि शहर में थोड़ा तनाव पाया जाता है, हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच। मगर यह कोई नई बात नहीं है। हिन्दुस्तान में आजकल जगह-जगह यह तनाव पाया जाता है।"
"फिर तुम क्या करोगे, रिचर्ड?"
“मुझे क्या करना चाहिए, लीज़ा? मैं शासन करूँगा, और क्या करूँगा?" लीज़ा ने आँखें ऊपर उठाईं।
"तुम फिर मज़ाक़ करने लगे, रिचर्ड?"
"मैं मज़ाक़ नहीं कर रहा। अगर हिन्दुओं और मुसलमानों के बीच तनाव पाया जाता है तो मैं क्या कर सकता हूँ?"
"तुम उनका झगड़ा निपटाओगे नहीं?"
रिचर्ड मुस्करा दिया और कॉफी का घूट भरकर सहज भाव से बोला, “मैं उनसे कहूँगा तुम्हारे धर्म के मामले तुम्हारे निजी मामले हैं, इन्हें तुम्हें खुद सुलझाना चाहिए। सरकार तुम्हारी मदद करने के लिए पूरी तरह से तैयार हैं।"
"तुम उनसे यह भी कहना कि तुम एक ही नस्ल के लोग हो, तुम्हें आपस में नहीं लड़ना चाहिए। तुमने मुझे यही बताया था न रिचर्ड?"
"ज़रूर कहूँगा, लीज़ा!" रिचर्ड ने तनिक व्यंग्य से कहा।
दोनों चुपचाप कॉफी के घूट भरते रहे, फिर सहसा लीज़ा का चेहरा चिन्तित हो उठा, “तुम्हें तो कोई खतरा नहीं है ना, रिचर्ड?"
“नहीं, लीज़ा। अगर प्रजा आपस में लड़े तो शासक को किस बात का ख़तरा है।"
लीज़ा के जेहन में बात उतरी तो उसकी आँखों में रिचर्ड के प्रति आदरभाव छलक आया।
“ठीक ही तो कहते थे। तुम कितना कुछ जानते हो, रिचर्ड। तुम सचमुच बड़े समझदार हो। मैं यों ही डर गई थी। मुझे जैक्सन की पत्नी ने एक बार बताया था कि हिन्दुस्तानियों की किसी भीड़ को तितर-बितर करने के लिए जैक्सन अकेला रिवॉल्वर हाथ में लिये, भीड़ के पीछे-पीछे भागने लगा था। और वह पोर्टिको पर खड़ी देख रही थी और बेहद डर गई थी कि जाने क्या हो जाए। तुम सोचो रिचर्ड, अकेला जैक्सन और सड़कों पर लोगों की भीड़। कुछ भी तो हो सकता था।"
“तुम चिन्ता नहीं करो, लीज़ा।" रिचर्ड ने कुर्सी से उठकर लीज़ा का गाल थपथपाया और बाहर निकल गया।